किसी ने नहीं सुनी

 मैं हैरान हूं, यह सोचकर किसी ने नहीं सुनी,

उस गवार भ्रष्टाचार की, जो फैला है सब ओर।


मैं हैरान हूं, उस औरत के शब्दों पर,

जिसने उठाई उंगली, ढोल गवार के खिलवार।


मनुस्मृति को जलाया नहीं, बेङी बनाई,

गुलामी की बेङी में, जिन्हें बसा दिया गया।


राम की कहानी, जिसमें है अधर्म,

औरत को निकाला, परीक्षा लेने के बाद हैरान।


लानत नहीं भेजी, धिक्कारा नहीं किया,

औरत को वस्तु नहीं, मानवता में जोड़ा जाता रहा।


संयोगिता का विरोध, नहीं किया कभी,

अंबा-अंबालिका के दिनदहाड़े, बचा रहा सच्चाई।


श्रध्देय मानती हैं, मां-बहनें हमारी,

देवता-भगवान नहीं, जाति या लिंग की पहचान हमारी।


Balwinder Singh

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