मैं हैरान हूं यह सोचकर किसी औरत ने - महादेवी वर्मा जी
मैं हैरान हूं यह सोचकर किसी औरत ने - महादेवी वर्मा जी
मैं हैरान हूं यह सोचकर किसी औरत ने उंगली नहीं उठाई तुलसीदास पर जिसने कहा ढोल गवार शुद्र पशु नारी सारे ताड़न के अधिकारी।
मैं हैरान हूं किसी औरत ने नहीं जलाई मनुस्मृति जिन्हे पहनाई उन्हें गुलामीओं की बेङी।
मैं हैरान हूं किसी औरत ने धिक्कारा नहीं उस राम को जिसने गर्भवती पत्नी को भी परीक्षा लेने के बाद भी निकाल दिया घर से बाहर धक्के मार कर।
मै हैरान हूं किसी औरत ने लानत नहीं भेजी उन सबको जिन्होंने औरत को वस्तु समझकर लगा दिया था दाव पर होता रहा नपुंसक योद्धाओं के बीच समूची औरत जाति का चीर हरण
मैं हैरान हूं यह सोचकर किसी औरत ने नहीं किया संयोगिता अंबा-अंबालिका के दिनदहाड़े अपहरण का विरोध आज तक।
मैं हैरान हूं इतना कुछ होने के बाद भी क्यो अपना श्रध्देय मानकर पूजती है मेरी मां-बहनें उन्हे देवता-भगवान मानकर।मैं हैराण हूं उनकी चुप्पी देखकर इसे उनकी सहनशीलता कहूं या अधं-श्रद्धा या फिर मानसिक गुलामी की पराकाष्ठा
-महादेवी वर्मा जी
-महादेवी वर्मा जी।लेकिन महादेवी वर्मा जी की यह कविता किसी भी पाठ्यपुस्तक में नही लिखी गई है क्योकि यह भारतीय(तथाकथि उदात्) संस्कृति पर गहरी चोट करती है।
किस पुस्तक(रचना)से ली गयी है
ReplyDeleteमहादेवी वर्मा जी की यह कविता किसी भी पाठ्यपुस्तक में नही लिखी गई है क्योकि यह भारतीय(तथाकथि उदात्) संस्कृति पर गहरी चोट करती है।
Deleteim from SC/ST.....PLEASE TELL ME ISS POEM KA SOURCE KYA HAI.......KYUKI MAHADEVI VERMA ITNA SIMPLE LIKHTI BHI NHI HAI......AGAR YE MAHADEVI VERMA KI HAI TO OBVIOUSLY ISKA KOI SOURCE JARUR HOGA......
ReplyDeleteमैं सहमत हूँ आपसे!
DeleteYe unki kavita nahi lagti,source batayen to behtar hoga
ReplyDeleteये कविता किस बुक में लिखी गयी महादेवी जी द्वारा
ReplyDeleteहैरान हूँ मैं भी महीयसी महादेवी के लेखन का ये रंग देखकर👌🙏🙏
ReplyDeleteमहादेवी वर्मा की नहीं दलित कवि सुदेश तनवर की है यह कविता!..महादेवी इस तरह नहीं सोचतीं, न लिखती हैं!
ReplyDeleteJI JAROOR
ReplyDeleteसुदेश तनवर की कविता है भाई
ReplyDeleteThank you for sharing this aspect of Mahadevi to us
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